Typewriter क्या होता है : Typewriter In Hindi

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इस लेख में हम Typewriter के बारे में पढ़ेंगे, Typewriter क्या होता है, Typewriter कब use किया जाता था, Typewriter के प्रमुख parts क्या है और ये कैसे काम करता है आदि के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे।

Table of Contents

Typewriter क्या है

Typewriter kya hai

Typewriter एक Mechanical Machine है जिसका उपयोग पहले के समय में कागज पर Characters टाइप करके printed documents बनाने के लिए किया जाता था। इसने डिजिटल युग से पहले हमारे Communication करने और जानकारी रिकॉर्ड करने के तरीके को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। क्योंकि अगर आज भी आप Modern Computer Keyboard देखे तो वे इससे ही प्रेरित है।

Typewriter का इतिहास:

टाइपराइटर की उत्पत्ति 19 वीं शताब्दी की शुरुआत में हो चुकी थी। पहला व्यावसायिक रूप से सफल टाइपराइटर, जिसे शोल्स और ग्लीडेन टाइपराइटर या रेमिंगटन नंबर 1 के रूप में जाना जाता है, का आविष्कार Christopher L. Sholes, Samuel Soule, और Carlos Glidden ने किया था।QWERTY कीबोर्ड layout की शरुआत भी कही ना कही इसी टाइपराइटर से जुडी हुई है। यह रेमिंगटन आर्म्स कंपनी द्वारा निर्मित किया गया था और 1873 में बाजार में आया था। इस आविष्कार ने लिखित communication के संचालन के तरीके में एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ था।

Typewriter के प्रमुख Parts:

एक Typewriter कई प्रकार के parts से मिलकर बना होता हैं जो टाइप किए गए text को छापने के लिए एक साथ काम करते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख parts हैं:

  1. Keyboard: कीबोर्ड टाइपराइटर का वह हिस्सा है जिसमें प्रत्येक अक्षर, संख्या और अन्य Characters के लिए Keys होती हैं। जब एक Key को दबाया जाता है, तो एक Mechanical Process शुरू होती है, जिससे संबंधित character कागज पर छाप जाता है।
  2. Typebar: ये एक प्रकार की छड़ होती है जिसके अंत में character लगा होता है। जब एक key को दबाया जाता है, तो संबंधित टाइपबार ऊपर की ओर झूलता है जिससे कागज के ऊपर एक स्याही वाला रिबन टकराता है, जिससे character को कागज पर छाप दिया जाता है।
  3. Platen: यह एक cylindrical roller होता है जिस पर रबर लगा होता है। इसके ऊपर कागज को लगा दिया जाता है , जब यूजर टाइप करता है तब ये roller घूमता है जिससे कागज भी इसके साथ move होता है। इससे छपने वाले text कागज पर एक सीधी लाइन में छपते है।
  4. Carriage: Carriage कागज को पकडे रहती है और जब यूजर टाइप करता है तब ये horizontally मूव करती है। यह एक लाइन स्पेसिंग Mechanism से जुडी होती है जिसे text की लाइनों के बीच की दूरी निर्धारित करने के लिए adjust किया जा सकता है।
  5. Ribbon: रिबन में स्याही होती है और इसे टाइपबार और पेपर के बीच रखा जाता है। जब एक key को दबाया जाता है, तो टाइपबार रिबन से टकराता है, जिससे रिबन पर लगी Ink कागज पर transfer हो जाती है और character छप जाता है।

Typewriter कैसे कार्य करता है

किसी भी अक्षर तो type करने के लिए एक Typewriter कई जटिल प्रक्रियाओं से गुजरता है जिसमे इसके सभी हिस्से अहम भूमिका निभाते है, चलिए इसे भी विस्तार से समझे

Key Press: जब एक key को दबाया जाता है, तो यह एक टाइपबार को ऊपर की ओर ले जाता है जिससे बाद में रिबन को कागज पर टकराया जाता है।

Inking: टाइपबार एक स्याही वाले रिबन पर टकराता है, जिससे रिबन पर लगी स्याही को कागज पर shift कर दिया जाता है।

Character Formation: स्याही लगा हुआ character कागज पर छप जाता है।

Paper Movement: जैसे ही character टाइप किया जाता है, प्लेटन और कैरिज अगले character के लिए पेपर को अगले अक्षर की position में लगा देते हैं।

Line Break: जब एक लाइन खतम होती  है, तोयूजर carriage को अगली लाइन की शुरुआत में ले जाने के लिए उसे सरकाता है।

Carriage Return: एक लाइन के अंत में, या जब यूजर पृष्ठ के अंत तक पहुंचता है, तो Carriage को शुरुआती स्थिति में वापस कर दिया जाता है।

टाइपराइटर का महत्व

दोस्तों भले ही आज आपको टाइपराइटर नाम सुनने में उतना महत्वपूर्ण नहीं लगता लेकिन ऐतिहासिक नजरिये से देखे तो इसने लिखित संचार में क्रांति लाई थी और समाज के विभिन्न पहलुओं पर गहरा प्रभाव डाला था, चलिए इसके कुछ महत्व पढते है।

  1. Efficiency: टाइपराइटर से पहले, लिखित दस्तावेज हाथ से बनाए जाते थे, जिनमे काफी समय लगता था और उनमे काफी गलतिया भी होती थी। टाइपराइटर से लिखने का काम तेज़ी से होने लगा और इसमें कोई गलती भी नहीं होती थी।
  2. Standardization: Typewriters की वजह से ही Text का Standardization हुआ, ये निर्धारित कर दिया जाता था की text की size क्या होगी और कौनसा font कैसा होगा।
  3. Office Work: इसकी सुन्दर और error free लिखावट की वजह से ये offices में एक जरुरी हिस्सा बना, office reports और letter typing में इसका अत्यधिक प्रयोग होने लगा था।
  4. Literacy and Education: टाइपराइटर की उपलब्धता ने लोगों के लिए टाइपिंग सीखना आसान बना दिया, जिससे टाइपिंग कक्षाओं का विकास हुआ और शिक्षा में टाइपिंग को भी जोड़ दिया गया।
  5. Social Change: टाइपराइटर ने महिलाओं के लिए नौकरी के अवसर खोले, जिससे उन्हें टाइपिस्ट और सचिवों के रूप में कार्य करने का अवसर मिला।

अगर आज भी आप देखे तो पुराने documents का वर्तमान में अत्यधिक महत्त्व है, ये सब पुरानी किताबे या documents को Typewriter द्वारा ही टाइप किया गया है। Typewriter के महत्व पढ़ कर आप समझ गए होंगे की पहले के समय में ये कितना जरुरी tool हुआ करता था।

20 वी शताब्दी में भले ही ये एक जरुरी tool रहा हो लेकिन आज के digital युग में Computers ने इसे पूरी तरह replace कर दिया है। Computer में Type करते वक़्त जिस तरह की सुविधाएँ आज हमे मिल रही है वैसी Typewriters में नहीं है, Comptuer लिखे हुए Text को Store कर सकता है, उसे अलग अलग fonts के साथ modify कर सकता है वो भी कुछ ही पलों में। 

दोस्तों Typewriter क्या होता है ये आपको समझ में आ गया होगा, आप अपने प्रश्न मुझसे comment box में पूछ सकते है, और आशा करता हु आपको इस article की मदद से computer notes बनाने में मदद मिली होगी।