Scanner क्या है : What is Scanner In Hindi

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आज इस आर्टिकल में हम स्केनर के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, हम पढ़ेंगे की scanner क्या है, साथ ही scanner के प्रकारो के बारे में जानेगे। स्केनर कैसे काम करता है, इन सब के बारे में विस्तार में पढ़ेंगे। कम्प्यूटर स्केनर सम्बंधित ये notes आपको एग्जाम में काफी सहायता करेंगे।

Table of Contents

Scanner क्या होता है

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Scanner एक इनपुट डिवाइस है जो फिजिकल तस्वीरों और डॉक्यूमेंट्स को डिजिटल डॉक्युमेंट्स मे कन्वर्ट करता है। यह documents को स्केन करता है और उनको digital रूप में प्रवर्तित करता है। जिससे उन्हें कम्यूटर या किसी storage डिवाइस मे स्टोर किया जा सकता है। कम्यूटर मे स्टोर की गई इन डिजिटल files को आसानी से  एडिट और शेयर किया जा सकता है।

Scanner के प्रकार 

Flatbed Scanners

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Flatbed scanner मे एक स्पाट(फ्लैट) काँच लगा होता है जिस पर स्केन किए जाने वाले डॉक्युमेंट्स को रखा जाता है। इसके बाद Scanning Head,  document के नीचे से गुजरता हुआ उसकी एक इमेज capture करता है। 

इमेज कैप्चर करने के लिए यह scanner लाइट के परावर्तन का उपयोग करता है। Light,  document से टकराकर scanner मे document की एक इमेज तैयार करती है।

आमतौर पर इस scanner का उपयोग डॉक्युमेंट्स और तस्वीरों को स्केन करने के लिए किया जाता है। Flatbed Scanner मे Documents स्केन करना काफी आसान होता है।

Sheet-fed Scanners

sheet-fed Scanner kya hai

Sheet-Fed Scanner कुछ कुछ Flatbed की तरह ही कार्य करता है बस इसमे Documents को किसी काँच की पट्टी पर ना रखकर एक Roller से गुजारा जाता है। यह scanner एक साथ एक से अधिक document को भी Scan कर सकता है।

इस scanner की सहायता से बहुत सारे Documents को काफी कम समय मे Scan किया जा सकता है। इनका उपयोग ऐसे offices मे ज्यादा होता है जहाँ बहुत सारी पुरानी files को digitalize करना हो। 

इस scanner के कुछ model तो documents की दोनों साइड को एक साथ भी स्केन कर सकते है।

Handheld Scanners

Handheld Scanner kya hai

Handheld Scanners को documents के ऊपर manually रखा जाता है। इसमे लगे sensors और कैमरा document की एक digital प्रति तैयार करते है।

यह scanner portable होता है जिससे इसे आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया सकता है। अगर जगह की कमी हो तो वहाँ पर ये Scanners अत्याधिक उपयोगी होते है क्यों कि इन्हें use करने के लिए ज्यादा जगह की आवश्यकता नहीं होती है।

Drum Scanners

Drum Scanner kya hai

Drum scanners, किसी document की प्रति तैयार करने के लिए एक घूमने वाले ड्रम का इस्तेमाल करने है। Document को ड्रम पर रख दिया जाता है इसके बाद जब ड्रम घूमता है तब scanner मे लगे sensors Light के परावर्तन को detect करके एक digital copy तैयार करते है।

आजकल इसका उपयोग नहीं होता लेकिन पहले इसका उपयोग Document की high-resolution प्रति तैयार करने के लिए किया जाता था।

Film Scanners

Film Scanner kya hai

Film Scanners  का प्रयोग photographic films और स्लाइड्स को स्केन करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग Film based तस्वीरों को डिजिटल बनाने के लिए किया जाता है। इससे स्केन की गयी तस्वीरों की quality HD होती है। 

अन्य स्केनर 

MICR (Magnetic Ink Character Recognition)

  • MICR का प्रयोग बैंकिंग में चेक्स को स्केन करने के लिए किया जाता है।
  • चेक्स पर कुछ अक्षरों को लिखने के लिए iron oxide युक्त इंक का प्रयोग किया जाता है, इन अक्षरों को MICR द्वारा पढ़ा जाता है।
  • आमतौर पर iron oxide का उपयोग चेक नंबर लिखने के लिए किया जाता है।

OMR (Optical Mark Recognition)

  • OMR का उपयोग विभिन्न परीक्षाओं में OMR शीट को पढ़ने के लिए किया जाता है।
  • आमतौर पर इसका उपयोग सर्वे, एग्जामस आदि में किया जाता है जहाँ OMR शीट पर बने गोलों को पेन से गहरा किया जाता है, इस OMR शीट को कंप्यूटर द्वारा पढ़ा जाता है।

Bar Code Reader (BCR)

  • BCR का उपयोग बार कोड्स को पढ़ने के लिए किया जाता है, इसमें लगा सेंसर bar code में बनी काली एवं सफ़ेद पट्टीयों पर optical सेंसर का उपयोग करके उन्हें पढता है।

QRS (Quick Response Code)

  • QRS को QR कोड भी कहते है, यह एक चौकोर कोड होता है जिसमे काले रंग के डब्बे बने होते है।
  • QR कोड को स्मार्टफोन या QR code reader की सहायता से पढ़ा जाता है।

OCR (Optical Character Recognition)

  • OCR एक सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी है जिसका उपयोग डाक्यूमेंट्स को editable text में convert करने के लिए किया जाता है।

Scanner के उपयोग

Document Digitization: स्केनर का उपयोग पेपर documents को डिजटल फॉर्मेट में कन्वर्ट करने के लिए किया जाता है। गवर्नमेंट ऑफिस और अन्य offices में इसका अत्यधिक उपयोग किया जाता है। क्योंकि डिजिटल डाक्यूमेंट्स को मैनेज करना ज्यादा आसान होता है।

Photograph and Image Scanning:

स्केनर की मदद से नयी पुरानी तस्वीरों को डिजिटल फॉर्मेट में कन्वर्ट किया जा सकता है। इससे पुरानी तस्वीरें सुरक्षित की जा सकती है।

Artwork and Design:

 High-resolution स्केनर की सहायता से पुरानी पेंटिंग्स और डिज़ाइन को डिजिटल फॉर्मेट में कन्वर्ट किया जाता है। Museums में इसका उपयोग ऐतिहासिक डाक्यूमेंट्स को सुरक्षित करने के लिए किया जाता है।  

एक बार डॉक्यूमेंट के डिजिटल रूप में तैयार होने पर उनकी अनेक copies बनाई जा सकती है, इससे ऐतिहासिक डॉक्यूमेंट को सुरक्षित रखा जा सकता है।

Medical Imaging:

मेडिकल क्षेत्र में भी स्केनर्स का अत्यधिक उपयोग होता है। X-rays, CT scans आदि की डिजिटल इमेज तैयार करने में इसका उपयोग किया जाता है।

Hospitals में स्केनर्स का उपयोग मेडिकल डाक्यूमेंट्स को डिजिटल रूप देने के लिए भी किया जाता है।

Engineering and Technical Drawings:

बड़े स्केनर्स का उपयोग इंजीनियरिंग फील्ड में blueprints आदि को डिजिटल बनाने के लिए किया जाता है।

Education and Research:

Educaton फील्ड में स्केनर का उपयोग शिक्षा सामग्री को डिजिटल प्रारूप देने के लिए किया जाता है। Libraries और विद्यालयों में किताबों को डिजिटल स्वरुप देने में भी स्केनर अत्यधिक उपयोगी है।

3D Scanning: 

3D scanners का उपयोग three-dimensional objects को स्केन करने के लिए किया जाता है, जिनका उपयोग computer-aided design (CAD) और 3D printing में होता है।

स्केनर के लाभ

डॉक्यूमेंट सुरक्षा : स्केनर की सहायता से फिजिकल डाक्यूमेंट्स को डिजिटल डाक्यूमेंट्स में कन्वर्ट करके सुरक्षित किया जा सकता है। डिजिटल documents को अलग अलग जगह स्टोर किया जा सकता है और इनकी अनेक copies भी की जा सकती है। 

Document Organization: स्केनर की मदद से तैयार किये गए डिजिटल डाक्यूमेंट्स को आसानी से सुरक्षित डेटाबेस में स्टोर किया जा सकता है और साथ ही इन्हे ढूँढना और शेयर करना भी आसान होता है। डिजिटल डाक्यूमेंट्स के उपयोग से कागज की भी बचत होती है और पर्यावरण पर भी बुरा असर नहीं पड़ता है।

जगह की बचत: डिजिटल डाक्यूमेंट्स को ऑफिस में ज्यादा जगह की जरूरत नहीं पड़ती, एक कम्प्यूटर में लाखों फाइल्स को रखा जा सकता है, वही लाखों फिजिकल फाइल्स के लिए एक बड़े ऑफिस की जरुरत पड़ती है। अतः स्केनर की मदद से जगह की भी बचत की जा सकती है।

Editing and Modification: फिजिकल डॉक्यूमेंट को एडिट और मॉडिफाई करना मुश्किल है वही इसके डिजिटल रूप को एडिट करना बहुत ही आसान है। अतः स्केनर की मदद से फाइल्स को डिजिटल रूप देकर एडिट किया जा सकता है।  

Searchability and Indexing: OCR की सहायता से प्रिंटेड टेक्स्ट को editable टेक्स्ट में बदला जा सकता है जिससे फाइल्स के अंदर टेक्स्ट में आसानी से words और paragraphs को आसानी से ढूँढा जा सकता है।

Data Sharing and Collaboration: फिजिकल फाइल को शेयर करना मुश्किल है वही इसी फाइल के डिजिटल रूप को लाखो करोड़ो लोगो के साथ शेयर करना बहुत आसान है, स्केनर की सहायता से ही इस फिजिकल फाइल को पहले डिजिटल रूप में बदला जाता है और फिर शेयर किया जाता है।

Cost में कमी : फिजिकल फाइल्स को maintain करने में अत्यधिक धन खर्च होता है वही स्केनर से तैयार की गयी डिजिटल फाइल्स के रखरखाव और स्टोर करने में कम धन खर्च होता है।

स्केनर कैसे काम करता है

एक डॉक्यूमेंट को डिजिटल स्वरुप देने के लिए स्केनर, लाइट और सेंसर्स का उपयोग करता है यह रेफ्लेक्टेड लाइट को सेंसर्स की सहायता से इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल में बदलता है।

  1. Light Source:

    • Scanner आमतौर पर fluorescent lamp या LED का प्रयोग लाइट के लिए करता है जब लाइट पेपर से टकराकर लौटती है तो स्केनर में लगे सेंसर की सहायता पेपर पर बने अक्षरों और चित्रों की डिजिटल कॉपी तैयार की जाती है
  2. Reflective or Transmissive Scanning:

    • Reflective स्केनिंग में, लाइट डॉक्यूमेंट की सतह से परावर्तित होती है। Transmissive Scanning में, लाइट स्लाइड जैसे पारदर्शी डॉक्यूमेंट से होकर गुजरता है।
  3. Image Sensor:

    • रेफ्लेक्टेड लाइट को फिर एक Image Sensor द्वारा स्केन किया जाता है। यह सेंसर डॉक्यूमेंट की सतह पर लाइट में होने वाले बदलावों(changes) को पढता है और एक एनालॉग सिग्नल उत्पन्न करता है।
  4. Analog-to-Digital Conversion:

    • इमेज सेंसर द्वारा उत्पन्न एनालॉग सिग्नल को डिजिटल सिग्नल में परिवर्तित किया जाता है। इसी डिजिटल सिग्नल की सहायता से ही फिजिकल डॉक्यूमेंट को डिजिटल सिग्नल में बदला जाता है।
  5. Resolution and Color Depth:

    • स्केनर में resolution को dots per inch (DPI) में मापा जाता है, DPI के आधार पर यह तय होता है की Image की Quality कैसी होगी। अगर DPI ज्यादा होगा तो स्केन की गयी तस्वीर की क्वालिटी भी अच्छी होगी। 
  6. Scanner Software:

    • स्केन की गयी इमेज को scanner software द्वारा और भी बेहतर बनाया जा सकता है। स्केनर सॉफ्टवेयर में आप इमेज को crop करने के साथ साथ उसकी brightness आदि को भी एडजस्ट कर सकते है।
  7. Output:

    • स्केन की गयी इमेज को आमतौर पर JPEG, PNG, और PDF आदि में सेव किया जाता है। इस डिजिटल फाइल को किसी कम्प्यूटर या स्टोरेज डिवाइस में स्टोर किया जा सकता है और इसे किसी graphic सॉफ्टवेयर की सहायता से edit भी किया जा सकता है।