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आज इस आर्टिकल में हम Network Layer के बारे में पढ़ेंगे। इस लेख में हम सीखेंगे की नेटवर्क लेयर क्या है, नेटवर्क लेयर के कार्य, नेटवर्क लेयर की विशेषताएँ, नेटवर्क लेयर के प्रमुख प्रोटोकॉल्स आदि।
Table of Contents
नेटवर्क लेयर क्या है (Network Layer In Hindi)
नेटवर्क लेयर ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन (OSI) मॉडल की सात लेयर्स में से एक महत्वपूर्ण लेयर है। यह लेयर डेटा पैकेट्स को सोर्स से डेस्टिनेशन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नेटवर्क लेयर का मुख्य कार्य रूटिंग, पैकेट स्विचिंग, और ट्रैफिक कंट्रोल है।
यह लेयर IP एड्रेसिंग और लॉजिकल एड्रेसिंग का उपयोग करती है ताकि डेटा सही डेस्टिनेशन तक पहुंच सके। नेटवर्क लेयर विभिन्न प्रकार के नेटवर्क प्रोटोकॉल्स का उपयोग करती है, जैसे IP (Internet Protocol), ICMP (Internet Control Message Protocol), और ARP (Address Resolution Protocol)।
नेटवर्क लेयर के प्रमुख कार्य
डेटा पैकेट्स की रूटिंग: नेटवर्क लेयर का सबसे महत्वपूर्ण कार्य डेटा पैकेट्स की रूटिंग है। यह लेयर सोर्स और डेस्टिनेशन के बीच सबसे उपयुक्त पथ का चयन करती है और डेटा पैकेट्स को उस पथ पर भेजती है।
डेटा पैकेट्स की फॉरवर्डिंग: रूटिंग के बाद, नेटवर्क लेयर डेटा पैकेट्स को इंटरमीडिएट नोड्स के माध्यम से फॉरवर्ड करती है ताकि वे सही डेस्टिनेशन तक पहुंच सकें।
एड्रेसिंग: नेटवर्क लेयर प्रत्येक डिवाइस को एक यूनिक IP एड्रेस असाइन करती है, जिससे डेटा पैकेट्स को सही डेस्टिनेशन तक पहुंचाया जा सके।
फ्रैगमेंटेशन और रीअसेंबली: नेटवर्क लेयर बड़े डेटा पैकेट्स को छोटे-छोटे हिस्सों में विभाजित करती है ताकि वे विभिन्न नेटवर्क्स के माध्यम से आसानी से ट्रांसमिट हो सकें। डेस्टिनेशन पर, यह लेयर इन हिस्सों को पुनः जोड़कर ओरिजिनल डेटा पैकेट्स बनाती है।
कंजेशन कंट्रोल: नेटवर्क लेयर ट्रैफिक की भीड़ को नियंत्रित करती है और सुनिश्चित करती है कि नेटवर्क में ट्रैफिक का समुचित प्रवाह हो।
नेटवर्क लेयर की विशेषताएँ
- Routing: नेटवर्क लेयर का सबसे महत्वपूर्ण कार्य रूटिंग है, जो डेटा पैकेट्स को एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क में भेजने के लिए सबसे अच्छा पथ ढूंढता है।
- Logical Addressing: नेटवर्क लेयर में IP एड्रेसिंग का उपयोग होता है जिससे प्रत्येक डिवाइस को एक यूनिक एड्रेस मिलता है।
- Packet Switching: यह लेयर डेटा को छोटे-छोटे पैकेट्स में तोड़कर भेजती है जिससे डेटा ट्रांसमिशन तेज और कुशल होता है।
- Fragmentation और Reassembly: डेटा पैकेट्स को छोटे हिस्सों में बांटना और फिर डेस्टिनेशन पर उन्हें पुनः जोड़ना नेटवर्क लेयर की एक महत्वपूर्ण विशेषता है।
- Quality of Service (QoS): यह लेयर नेटवर्क ट्रैफिक की प्राथमिकताओं को मैनेज करती है, जिससे महत्वपूर्ण डेटा को प्राथमिकता मिलती है।
नेटवर्क लेयर के प्रमुख प्रोटोकॉल्स
IP (Internet Protocol): यह नेटवर्क लेयर का सबसे महत्वपूर्ण प्रोटोकॉल है जो डेटा पैकेट्स की रूटिंग और एड्रेसिंग सुनिश्चित करता है। IP के दो प्रमुख वर्शन हैं: IPv4 और IPv6।
ICMP (Internet Control Message Protocol): यह प्रोटोकॉल एरर मैसेजेज और ऑपरेशनल इंफॉर्मेशन को ट्रांसमिट करने के लिए उपयोग होता है। इसका मुख्य कार्य नेटवर्क की समस्याओं का पता लगाना और उन्हें ठीक करना है।
ARP (Address Resolution Protocol): यह प्रोटोकॉल IP एड्रेस को मैक एड्रेस में ट्रांसलेट करता है ताकि डेटा लिंक लेयर पर डेटा ट्रांसमिशन संभव हो सके।
RARP (Reverse Address Resolution Protocol): यह प्रोटोकॉल मैक एड्रेस को IP एड्रेस में ट्रांसलेट करता है।
NAT (Network Address Translation): यह प्रोटोकॉल प्राइवेट नेटवर्क्स के IP एड्रेस को पब्लिक नेटवर्क्स के IP एड्रेस में ट्रांसलेट करता है, जिससे इंटरनेट पर डेटा ट्रांसमिशन संभव हो सके।
नेटवर्क लेयर रूटिंग एल्गोरिदम्स (Network Layer Routing Algorithm In Hindi)
नेटवर्क लेयर विभिन्न प्रकार के रूटिंग एल्गोरिदम्स का उपयोग करती है ताकि डेटा पैकेट्स को सही स्थान पर भेजा जा सके। इनमें से कुछ प्रमुख एल्गोरिदम्स निम्नलिखित हैं:
डिस्टेंस-वेक्टर रूटिंग: इस एल्गोरिदम में प्रत्येक राउटर अपने पड़ोसी राउटर्स के साथ दूरी की जानकारी शेयर करता है और सबसे कम दूरी वाले पथ का चयन करता है।
लिंक-स्टेट रूटिंग: इस एल्गोरिदम में प्रत्येक राउटर नेटवर्क के सभी लिंक की जानकारी एकत्र करता है और सबसे कुशल पथ का चयन करता है।
पाथ-वेक्टर रूटिंग: इस एल्गोरिदम में प्रत्येक राउटर अपने पथ की जानकारी शेयर करता है और सबसे उपयुक्त पथ का चयन करता है।
नेटवर्क लेयर और इंटरनेट
नेटवर्क लेयर इंटरनेट की रीढ़ होती है। यह इंटरनेट पर डेटा पैकेट्स की रूटिंग और फॉरवर्डिंग सुनिश्चित करती है। IP प्रोटोकॉल नेटवर्क लेयर का मुख्य प्रोटोकॉल है, जो इंटरनेट पर डेटा का संचार सुनिश्चित करता है।
IP एड्रेसिंग
- IPv4: यह 32-बिट एड्रेसिंग स्कीम है, जिसमें लगभग 4.3 बिलियन एड्रेसिंग स्पेस है।
- IPv6: यह 128-बिट एड्रेसिंग स्कीम है, जिसमें एक विशाल एड्रेसिंग स्पेस है और यह भविष्य के नेटवर्क्स के लिए आवश्यक है।
नेटवर्क लेयर के लाभ
- Interoperability: विभिन्न प्रकार के नेटवर्क्स के बीच इंटरऑपरेबिलिटी को संभव बनाती है।
- Efficient Routing: डेटा पैकेट्स को सबसे छोटे और कुशल मार्ग से भेजती है।
- Scalability: बड़े नेटवर्क्स को सपोर्ट करने में सक्षम होती है।
- Error Control: डेटा ट्रांसमिशन के दौरान एरर्स को नियंत्रित करती है।
नेटवर्क लेयर की हानियाँ
- Complexity: नेटवर्क लेयर की रूटिंग और एड्रेसिंग प्रक्रिया जटिल होती है।
- Latency: डेटा पैकेट्स के फॉरवर्डिंग में देरी हो सकती है।
- Resource Consumption: नेटवर्क लेयर के फंक्शंस अधिक संसाधनों का उपयोग करते हैं।
- Security Risks: नेटवर्क लेयर पर आधारित अटैक्स का खतरा होता है, जैसे IP स्पूफिंग और DDoS अटैक्स।